भारतीय फिल्म जगत में कुछ लोग विवादों में जानबूझकर बने रहना चाहते हैं शायद उनको लगता है कि बिवादों के बगैर उनको शोहरत हासिल नहीं हो सकती है । और इस विवादों को बढ़ावा देने के लिए वे किसी ना किसी हिन्दू भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर उसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और सिनेमैटिक लिबर्टी के नाम पर दर्शकों के सामने परोसकर उसपर पैसा कमाना चाहते हैं। ऐसी ही धृष्टता करने की हिमाकत इसबार किया है यशराज प्रोडक्शंस ने नेटफ्लिक्स के साथ मिलकर । दरअसल यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स ने महान वैष्णव सम्प्रदाय के ऊपर मनगढ़ंत तरीके से बेबुनियाद चीजों को जोड़ते हुए एक फ़िल्म "महाराज" बनाई है जिसमें आमिर खान के बेटे जुनैद को लॉन्च करने की प्लानिंग किये हुए हैं । अब आमिर खान का नाम आये तो बिना विवादों के यह इंसान फिल्में बना ही नहीं सकता । इनके द्वारा पहले बनाई गई फ़िल्म पीके, थ्री इडियट जैसी फिल्में भी विवादों का हिस्सा बनी थी जिसमें इनकी हरकतें सिर्फ हिन्दू समाज को बदनाम करने वाली ही थीं जबकि इन्होंने कभी भी मुखर होकर या किसी भी फ़िल्म के माध्यम से मुस्लिम समाज की कुरीतियों के ऊपर एक डॉक्युमेंट्री तक बनाना उचित नहीं समझा है । इसी बात को लेकर इसबार वैष्णव सम्प्रदाय को मानने वाले अनुयाइयों ने गुजरात उच्च न्यायालय में फ़िल्म महाराज की स्ट्रीमिंग को लेकर एक याचिका दायर कर दिया जिसपर सुनवाई करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स को नोटिस जारी करते हुए स्ट्रीमिंग को तत्काल रोकने का आदेश पारित कर दिया । फ़िल्म की स्ट्रीमिंग आज से होना निश्चित हुआ था। दरअसल फ़िल्म महाराज के बनाने वालों की दलील है की वे एक किताब से प्रेरित होकर यह फ़िल्म बना रहे हैं जबकि उस किताब की मूल अवधारणा ही हिंदुत्व के ख़िलाफ़ एक साजिश है । इसमें सन 1862 में हुए एक मुकदमें को केंद्रबिंदु में रखकर फ़िल्म की पटकथा तैयार की गई है जिसमें बिना किसी आधार के ही पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर अंग्रेज जज ने सनातनी विचारों के खिलाफ निर्णय दिया था। इस केस में यदुनाथ जी बृजनाथ जी महाराज हिन्दू समाज की पैरवी एक तथाकथित समाज सुधारक पत्रकार करसनदास मुलजी के उस आलेख के बारे में किया था जिसमें उसने महराज पर सेक्सुअल गतिविधियों में लिप्त होने का निराधार आरोप लगाकर षड्यंत्र रचा था। इस केस में पूरा पब्लिक अटेंशन महराज के साथ था लेकिन उस अंग्रेज जज ने अपने मनमाने तरीके से उस मुलजी के पक्ष में फैसला सुनाया था । दरअसल आनंद प्रज्ञा टीवी ओटीटी के संस्थापक और मालिक संजय भट्ट उसी वैष्णव परम्परा को मानने वाले एक आध्यात्मिक प्रवक्ता भी हैं जो अपने वैष्णव सम्प्रदाय और सनातन समाज मे राजीव लोचन महराज श्री के रूप में जाने जाते हैं। वैष्णव परम्परा को मानने वाले श्री राजीव लोचन जी महाराज वल्लभ कुल से बेहद नजदीकी सम्बंध रखते हैं। वो कहते हैं कि भट्ट तैलंग गोस्वामी परिवार और वल्लभ कुलीन परिवारों में वैवाहिक सम्बन्धों तक कि घनिष्ठता सदियों पूर्व से बनी हुई है । संजय भट्ट का कहना है कि ये महराज फ़िल्म जो बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक से नेटफ्लिक्स पर रिलीज करने की तैयारी कर लिए थे इसलिए इनकी इस हरकत से सनातन धर्म को लेकर गलत मंशा ही परिलक्षित प्रतीत होती है । सदियों पहले मुगल शासकों ने सनातन पर प्रहार किया और अब उनके अनुयायी भी उसी नक्शे कदम पर कदमताल करते हुए चल रहे हैं । हम इनकी इन्हीं मंशाओं को कभी भी सफल नहीं होने देंगे । सदियों पूर्व मुगलों ने भी गुस्ताख़ी किया टैब भी सनातन मजबूती से अपने पथ पर टिका रहा ,उसके बाद अंग्रेज आये और उन्होंने भी अपने तरीके से हमें बदनाम करने , हमें नीचा दिखाने और अपमानित करने के हजारों प्रयास किये, हमारे क्रांतिकारियों को उन्होंने आतंकवादी करार दिया लेकिन फिर भी सनातन के उपासकों ने उनके ऊपर विजय पताका फहराते हुए देश को उनके चंगुल से आजाद कराया। अब एकबार पुनः साइलेंट तरीके से फ़िल्म बनाकर एकबार फिर से उन्हीं कुरीतियों के भ्रामक आवरण बनाकर ये विदेशी मानसिकता के पोषक लोग हमारी सनातन संस्कृति को बदनाम करने की ओछी कोशिश कर रहे हैं । हम उन्हें इस कोशिश में कत्तई नहीं कामयाब होने देंगे ।