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एक्ट्रेस उपासना सिंह का भांजा नील आर्यन वेब सीरीज़ में

Neil Aryan & Upasana Singh
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‘मिस्टर इंडिया’ बनने के बाद अब नील आर्यन जल्द ही ‘प्राइम फ्लिक्स’ आने वाले सीरीज़ ‘जहर’ में नज़र आएंगे

आजकल वेब सीरीज़ फिल्मो से ज्यादा पसंद किया जा रहा है। अब एक्ट्रेस उपासना सिंह का भांजा नील आर्यन जल्द ही ‘प्राइम फ्लिक्स’ आने वाले सीरीज़ ‘जहर’ में नज़र आएंगे। जिसके लिए निर्देशक अमर वत्स ने नील आर्यन को साईन किया है। नील आर्यन ने इससे पहले शार्ट फिल्म ‘आखरी सेल्फी’, व ‘लव@497’ में काम किया है। और दिल्ली में काफी मॉर्डलिंग कर चुके है। अपनी मामी (उपासना सिंह) की सलाह पर मुंबई में आये और अब बॉलीवुड में किस्मत आजमा रहे है। वैसे नील आर्यन काफी प्रतिभाशाली, यंग और बहुमुखी प्रतिभाशाली है।

इससे पहले वे गुड़गांव के जी डी गोएंका कॉलेज से प्रोडक्ट डिज़ाइनिग में डिग्री प्राप्त करने के बाद स्कॉलरशिप के जरिये मिलान (इटली) के पॉलिटेकनिको डी मिलानो से ऑटोमोबाइल में स्पेशलाइजेशन करने के बाद वहाँ के अल्फ़ा रेमिको में काम किया।उसके बाद इंटीरियर जॉब ‘रेड वैलेंटिनो’ में किया, फिर दिल्ली में आकर मॉर्डलिंग करने के बाद दिल्ली में नेशनल लेवल पर होनेवाले ‘डेलीवूड मिस्टर इंडिया’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, बिहार को रिप्रेजेंट करते हुए ‘मिस्टर बिहार’ का टाइटल जीता और ग्रांडफिनाले में ‘मिस्टर इंडिया’ का टाइटल जीता और पूरे देशभर में छा गए।अभी मुंबई के नरसी मोंजी कॉलेज से मार्केटिंग में एम बी ए कर रहे है।

वेब सीरीज़ में काम करने के बारे में नील आर्यन कहते है,” मैं अभी ‘प्राइम फ्लिक्स’ आने वाले वेब सीरीज़ ‘जहर’ में काम करना इस महीने के अंत तक शुरू करूँगा। मैं अच्छा और ढंग का काम करना चाहता हूँ, चाहे फिल्म हो, धारावाहिक हो या वेब सीरीज़ हो। आज भी मुझे बहुत बड़े बड़े कार्यक्रमो में बुलाया जाता है। लेकिन क्वांटिटी से ज्यादा क्वालटी में विश्वास करता हूँ। मामी (उपासना सिंह) भी कहती है, जल्दबाज़ी मत करना, जोभी करना सोच समझकर और अच्छा करना। तुममे क़ाबलियत है, लेकिन गलत जगह उपयोग मत करना। मैं भी कोई जल्दी में नहीं हूँ। एक फिल्म भी साइन की है, लेकिन जबतक शुरू ना हो जाय बताना गलत होगा।”

प्रोडक्ट डिज़ाइनिग, इंटीरियर अब एम बी ए मार्केटिंग इत्यादि विभिन्न तरह की पढाई और डिग्री करने का क्या मतलब है? इसपर नील आर्यन कहते है,” जीवन में जो भी हम सीखते है, वह हमेशा हमारे काम आता है और शिक्षा कभी भी बेकार नहीं जाती है। हमारी सोच और हमारे काम करने का दायरा बढ़ता है। इंसान जीवनभर भी सीखे तो भी सबकुछ नहीं सीख सकता है। इंसान को कभी भी खाली नहीं बैठना चाहिए, कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए। मैं कभी भी खाली नहीं बैठता हूँ।”

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