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बंगाल पुलिस , कभी भी कर सकती है गिरफ़्तार निर्देशक सनोज मिश्रा को.!

नोआखाली के नरसंहार और डायरेक्ट एक्शन डे जैसी विभीषिकाओं को झेल चुके बंगाल की हकीकत दिखाने की जिद्द एक निर्देशक को मौत के मुहाने पर खींच लाई है । जी हां जिस देश मे अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वाले खुलेआम घूम रहे हैं उसी देश मे एक फिल्ममेकर को एक प्रदेश की सच्ची घटना दिखाने के जुर्म में वहां की सरकार मार डालने के पीछे पड़ी हुई है । निर्देशक सनोज मिश्रा का गुनाह यही है कि उन्होंने द केरला स्टोरी और द कश्मीर फाइल्स के रास्ते चलते हुए द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल बनाने की गुस्ताखी कर दिया । यहां उनकी इसी जिद्द के कारण वर्तमान पश्चिम बंगाल की सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इनकी जान के पीछे पड़ गए हैं और अब हालात ये हैं कि आज कोलकाता हाई कोर्ट ने भी फ़िल्म निर्देशक सनोज मिश्रा की अग्रिम जमानत की याचिका को ख़ारिज कर दिया । इस फ़िल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल में जो धर्म परिवर्तन की सच्चाई और देश भर में सुनियोजित दंगों की रूपरेखा बनाने की योजना बनाते हुए अपराधियों को संरक्षण देने की साजिश का पर्दाफाश किया गया है वही शायद वहाँ की सरकार को हजम नहीं हो रहा है । अन्यथा कोई सरकार एक फ़िल्म निर्देशक को गिरफ्तार करने के लिए हाई कोर्ट में लगातार 5 दिनों तक सेंसर बोर्ड के लेटर के लिए क्यों इंतज़ार करती ? क्या सरकारें अब ये भी तय करेंगी की फ़िल्म में सच्चाई दिखाना भी सुरक्षित नहीं रह गया है ?

THE DIARY OF WEST BENGAL MOVIE  the kerla story  bengal file  ,  director sanoj mishra

फ़िल्म निर्देशक सनोज मिश्रा बताते हैं कि इस बावत जब उन्होंने कुछ लोगों से चर्चा की थी तो उस समय कई लोगों ने मदद की बात किया था लेकिन अब आज हालात ये हैं कि कोई सामने से मदद करने की बात तो छोड़िए अब फोन उठाने में संकोच करने लगे हैं । सनोज मिश्रा कहते हैं कि हमने तो जनता को पश्चिम बंगाल का सच दिखाने के लिए फ़िल्म बनाई है जिसकी रीलीजिंग अगले फरवरी महीने में पहले से ही शेड्यूल है लेकिन वर्तमान स्थितियाँ इसके अनुकूल नहीं लग रही हैं और लगता है कि इस फ़िल्म के निर्माता का तगड़ा नुकसान होना तय है । यदि फ़िल्म रिलीज ही नही होगी तो फिर निर्माता को नुकसान स्वाभाविक रूप से होगा । जो राजनीतिक दल पहले इस फ़िल्म के समर्थन में खड़े थे आज उनका भी कोई आता पता नहीं देख सनोज मिश्रा अपने भविष्य के प्रति काफी चिंतित नजर आते हैं और उनको डर लग रहा है कि कहीं उनकी गिरफ्तारी करवाके पश्चिम बंगाल की सरकार जेल में ही इनकी हत्या ना करवा दे ।

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