नई दिल्ली. बॉलीवुड फिल्मों के बायकॉट होने का नया ट्रेंड शुरू हो गया है. कोई भी बड़ी फिल्म आने वाली होती है तो उसके रिलीज से पहले ही सोशल मीडिया पर उसे बायकॉट करने की मांग छिड़ जाती है. कभी धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लग जाता है तो कभी उस सेलेब के बयान पर जंग छिड़ जाती है. बिना किसी तमाशे के कोई बड़ी फिल्म रिलीज हो जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता है. ऐसा ही कुछ हुआ है आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा के साथ. आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और ट्रोल्स के निशाने पर भी चढ़ चुकी है. फिल्म के रिलीज से कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर इसे बायकॉट करने की मांग उठ गई थी. हालांकि इस बार आमिर ने ऐसा कुछ नहीं किया था जो उनकी फिल्म को बायकॉट करने के लिए सोशल मीडिया पर इतना हल्ला कट गया. आइए आपको बताते हैं इस फिल्म को लेकर इतनी कॉन्ट्रोवर्सी क्यों हुई है.
आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा हॉलीवुड फिल्म ‘फॉरेस्ट गंप’ का हिंदी रीमेक है. इस फिल्म को बनाने में 14 साल का समय लगा है. आमिर ने एक इंटरव्यू में बताया कि अतुल कुलकर्णी ने साल 2008 में इस फिल्म के रीमेक के लिए कहा था. तब से लेकर फिल्म के राइट्स खरीदने और शूट में आमिर को इस फिल्म को पूरा करने में 14 साल का समय लग गया. किसी भी फिल्ममेकर के लिए एक फिल्म पर इतना समय देना आसान नहीं होता है. लाल सिंह चड्ढा में आमिर के साथ करीना कपूर, मोना सिंह और नागा चैतन्य अहम किरदार निभाते नजर आए हैं. ये तो हो गई फिल्म को लेकर बात अब जानते हैं इसके बायकॉट को लेकर हुई कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में.
पुराना बयान हुआ वायरल
आमिर खान ने जब से लाल सिंह चड्ढा का प्रमोशन शुरू किया है तब से उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसकी वजह से लोगों की भावनाएं आहत हो जाएं या फिल्म को बायकॉट करने की नौबत आ जाए. आमिर की फिल्म को लेकर बायकॉट करने के पीछे का कारण 8 साल पुराना है. जी हां ये अभी की बात नहीं है बल्कि 8 साल पुरानी बात है जिसका खामियाजा आमिर को अब भुगतना पड़ रहा है. आमिर ने साल 2015 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी एक्स वाइफ किरण राव को भारत में बढ़ती असहिष्णुता के चलते अपने ही देश में रहने से डर लगता है. इस बयान के बाद आमिर को देशद्रोही कहा जाने लगा था और वह बुरी तरह ट्रोल भी हुए थे. उससे पहले साल 2014 में आमिर की फिल्म ‘पीके’ आई थी. जिसके बाद एक्टर पर हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने का आरोप लगा था. हालांकि इसका फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर कोई फर्क नहीं पड़ा था फिल्म सुपरहिट ही साबित हुई थी.
बेवजह हुई कॉन्ट्रोवर्सी
अगर देखा जाए तो लाल सिंह चड्ढा में ऐसा कुछ नहीं है जिसकी वजह से इस फिल्म को बायकॉट की मांग उठी है. आमिर के पुराने बयानों को जोड़कर फिल्म को बायकॉट की मांग करना गलत है. हालांकि आमिर अपने बयान को लेकर पहले ही सब चीजें साफ कर चुके थे फिर भी बेवजह फिल्म का बहिष्कार करके कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट की गई है. आमिर ने हाल ही में फिल्म के प्रमोशन के दौरान बायकॉट पर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा-‘अगर मैंने किसी का दिल दुखाया है किसी चीज से तो मुझे उस बात का दुख है. मैं किसी का दिल नहीं दुखाना चाहता हूं. जिन जिनको फिल्म नहीं देखनी है मैं उस बात की इज्जत करुंगा और क्या कह सकता हूं, लेकिन मैं चाहूंगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग फिल्म देखें, हमने बड़ी मेहनत से फिल्म बनाई है. सिर्फ मैं नहीं हूं फिल्म में, फिल्म जो बनती है वो सैकड़ों लोगों की मेहनत से बनती है, मैं उम्मीद करता हूं लोगों को ये पसंद आएगी.’
फिल्में ऑडियन्स के मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं. उन्हें किसी भी धर्म, जाति या उस एक्टर की पर्सनल बयानों से जोड़ना गलत है. आज के समय में फिल्मों को धार्मिक भावनाओं से जोड़कर उन्हें बायकॉट करने की मांग तुरंत उठ जाती है. कोई एक्टर किस धर्म से है, ये देखकर शायद ही लोग थिएटर में फिल्म देखने जाते हैं. लोग उनकी एक्टिंग, उनके किरदार और फिल्म किस नेचर की है, ये सब देखकर जाते हैं. ये ही वजह से बहिष्कार की मांग उठने के बाद भी लोग आमिर की लाल सिंह चड्ढा देखने जा रहे हैं और उसे पसंद कर रहे हैं. हालांकि ये बायकॉट का असर फिल्म के कलेक्शन पर जरुर पड़ता है.