नई दिल्ली. आमिर खान 3-4 साल में आते हैं और जब आते हैं कमाल करते हैं…इस बार लाल सिंह चड्ढा को लेकर माहौल जरा नेगेटिव बना हुआ है. फिल्म हॉलीवुड फिल्फ फॉरेस्ट गंप का रीमेक है और इस वजह से नहीं किन्हीं और ही वजहों से फिल्म के बॉयकॉट की मांग हो रही है, लेकिन अगर आप सिनेमा से प्यार करते हैं तो इस फिल्म को बॉयकॉट मत कीजिएगा.
कहानी…
लाल सिंह चड्ढा बचपन से चल नहीं पाता और उसमें समझ की भी कमी है.चलना तो वो सीख जाता है.दौड़ना भी सीख जाता है लेकिन समझ अभी भी कम है, लेकिन तब भी वो जिंदगी में कमाल करता है. आर्मी में जाता है और बहुत कुछ ऐसा करता है जो आपको प्रेरित करता है और काफी कुछ सिखा जाता है. वो इश्क करता है तो शिद्दत से करता है पर क्या उसे उसका प्यार मिल पाता है? ये देखने के लिए आपको लाल सिंह चड्ढा जरूर देखनी चाहिए.
एक्टिंग…
आमिर खान की एक्टिंग को शायद रिव्यू नहीं किया जा सकता, लेकिन फिल्म का ट्रेलर आने के बाद कई तरह की बातें हुईं कि आमिर तो अपनी ही फिल्मों की कॉपी कर रहे हैं, लेकिन लाल सिंह चड्ढा देखकर आपको ऐसा नहीं लगेगा. आप आमिर के कायल हो जाएंगे. ट्रेन में गोल गप्पे कैसे आए इसका जवाब भी मिल जाएगा. आमिर एक-एक फ्रेम में छाए हुए हैं.उनका बचपन से अधेड़ उम्र तक का सफर कमाल तरीके से दिखाया गया है. छोटे आमिर खान ने भी कमाल की एक्टिंग की है और बड़े वाले तो हैं ही लाजवाब.करीना कपूर का काम अच्छा है हालांकि उनका रोल थोड़ा कम होना चाहिए था. नागा चैतन्य आपका दिल जीत ले जाते हैं. आर्मी का ये जवान चड्डी बनियान का बिजनेस करना चाहता है और उसकी प्लानिंग का तरीका आपका दिल जीत लेता है. आमिर की मां के किरदार में मोना सिंह का काम अच्छा है. मोहम्मद पाजी के किरदार में मानव बिज का काम भी अच्छा है और शाहरुख खान का गेस्ट अपीयरेंस तो दिल जीत लेता है. कुल मिलाकर एक्टिंग के मामले में ये फिल्म शानदार है तुल कुलकर्णी ने फिल्म की कहानी लिखी है और शानदार तरीके से लिखी है.फिल्म का फर्स्ट हाफ तो बहुत कमाल का है.आपकी आंखें कई बार नम होती हैं. आप हंसते भी हैं…रोते भी हैं..हैरान भी होते हैं…सेकेंड हाफ थोड़ा स्लो है और लगता है कि लव स्टोरी वाला एंगल लंबा कर दिया गया और उसे छोटा किया जा सकता था, लेकिन ये लव स्टोरी लाल की जिंदगी का काफी अहम हिस्सा है. फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और फिल्म की पेस को आगे बढ़ाता है. आमिर की इस फिल्म के बॉयकॉट की मांग जोर शोर से हो रही है, लेकिन बॉयकॉट करने वालों की बात करने वालों को भी पहले ये फिल्म देखनी चाहिए क्योंकि अच्छे सिनेमा को अच्छा ट्रीटमेंट जरूर मिलना चाहिए.