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कोकिल कंठी दीदी को स्मर्णअंजली

by team metro

क्या आपने कभी किसी ९३ साल की महिला को दीदी कहके बुलाया है ?

नही ?

फिर से सोच के बताइये

क्या आपने कभी किसी ८८ साल की महिला को दीदी कहके बुलाया है

हम बात कर रहे है हेमा हार्दिकर की

नही समझ पाए

ये बात है,
भारत रत्न
पद्म भूषण
पद्म विभूषण
दादा साहेब फालके अवॉर्ड
फिल्मफेर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
३ नेशनल अवॉर्ड
४ फिल्मफेर अवॉर्ड विजेता
कोकिल कंठी
लता दिनानाथ मंगेशकर की

यह उनके आवाज़ की उम्र की बात है, यह उनके उस आवाज़ की वजह है, जिस आवाज़ को उम्र छू ही नही पाई है

जी ये चाहे, बनाके आँचल,
तुमको लपेटू तन पे
कभी ये सोचु,
में उड़ जाऊ, तुम को लिए गगन पे
में भाग्यश्री की मासूमियत में,
लता दीदी के ६० साल की उम्र के स्वर ने जो जादू जोड़ा है, उसकी कोई तुलना नही कर शकता

मेरे ख्वाबो में जो आये
आके मुझे छेड जाये
की काजोल की मस्ती मे लता जी की उस समय की ६६ साल की उम्र का अगर गाने में कही आप को अंदाज़ भी आ जाये, तो यह आर्टिकल फिर से लिखेंगे

लता दीदी की असली सरनेम हार्दिकर थी, पर मंगेशी गांव के रहने वाले उनके पिताश्री दीनानाथजी ने अपने गांव के नाम से मंगेशकर सरनेम अपना लिया

मधुमती के आजा रे परदेशी गीत के लिए अपना पहला फिल्मफेर जितने वाली लता दीदी ने सदाशिवराव नेवरेकर के साथ काम की शरुआत की थी

लता दीदी ने हज़ारो गीत गाये. उनके गाये हुए गीतों की संख्या के लिए गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में उनके और रफ़ी साब के बिच काफी नोक जोंक हुई. आखिर कार, गिनेस बुक ने लता दीदी के नाम पे दर्ज एंट्री ही रद्द कर दी

भारत की लगभग हर भाषा में कोई न कोई अमर रचना देने वाली लताजी ने लगभग हर संगीतकार, हर गायक, हर नायिका को कंठ दिया है

कोई भी प्रेमी हो या मजनू हो, अपने इश्क के दौरान गर उसने एक भी बार लता दीदी के गाने के साथ दुनिया को अपने जुनून की बात नहीं कही तो उसका इश्क भी, इश्क और प्यार के लब्ज़ के तरह अधूरा है
इश्क में जीना, इश्क में मरना
और हमे अब करना क्या

क्वीन ऑफ़ मेलोडी, वॉइस ऑफ़ नेशन, वॉइस ऑफ़ इंडिया, नाइटएंजल ऑफ़ इंडिया, और ऐसे कितने नाम से मशहूर लता दीदी ने मिनाकुमारी के लिए
अजीब दास्ताँ है यह
कहा शरू, कहा ख़तम गाया तो

मन्दाकिनी के लिए
सुन साहेबा सुन, प्यार की धुन भी गाया है

अगर इस आवाज़ ने अल्लाह की इबादत की तो मुझे और आप को मिला
अल्ला तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम

अगर ये आवाज़ किसी मंदिर में उठी तो, हमे मिला
ओ पालनहारे

और जब बिस साल बाद में एक खौफनाक रात में किसी आत्मा को भी लता दीदी की आवाज़ मिली तो हमे मिला
कही दिप जले कही दिल
तेरी कोनसी है मंज़िल

कहा जाता है की उनकी सफलता की वजह से या किसी और कारण वश १९६२ में उनको खाने में स्लो पोइसन दिया गया था. ये हादसे के बाद, उनका रसोइया कुछ बताये बिना, अपनी वेतन लिए बिना वहा से नौ दो ग्यारह हो गया

ऐसी खौफनाक घटना के बाद वे कई महीने अस्वस्थ रही और धीरे धीरे जब वह स्वस्थ हुई, और १९६२ के युद्ध के बेक ड्राप में इस देश को वो गीत मिला, जिस के लिए कहा जाता है के पंडित जवाहरलाल नहेरु भी अपने आंसू रोक नहीं पाए थे जब दीदी ने उस फंक्शन में गीत के माध्यम से अपने देशवासियो को पूछा
अय मेरे वतन के लोगो, जरा आँख में भर लो पानी

उनके साथ स्लो पोइसन की दुर्घटना के बाद कुछ सालो बाद वो गाना आया जिसने लता दीदी ही नहीं, कई महिलाओ को हिम्मत देने का काम किया है
काँटों से खींच के ये आँचल
तोड़ के बंधन बांधे पायल
कोई न जाने दिल की उड़ान को
दिल वो चला आ
आज फिर जीने की तमन्ना है

देव साब और लताजी का ट्यूनिग भी काफी अच्छा था।

देव साब का जन्म २६ सप्टेंबर और लता दीदी का जन्म २८ सप्टेंबर, और जब इन्होने साथ मिलकर फिल्म इंडस्ट्री को कुछ देना चाहा तो हम सबको मिला
गाता रहे मेरा दिल

और एक ऐसा क्लासिकल, जो हर इंडियन आइडोल और हर प्रतियोगिता में हर कंटेस्टेंट का नंबर वन सॉन्ग रहा
पिया तोसे नैना लागे रे

प्यार का इज़हार हो और वो इस कदर हो के
आप की नज़रो ने समजा, प्यार के काबिल मुझे

“वो कौन थी” के सस्पेंस, थ्रिलर में भी लता दीदी के मासूम आवाज़ ने हमे दिया
लग जा गले, के फिर यह हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात, हो न हो

उसी फिल्म में सस्पेंस और थ्रिल को एक और उचाई पे लेने में
नयना बरसे रिम जिम का भी बड़ा योगदान रहा

प्यार के बाद रुसवाई हो या जुदाई हो और लता जी के आवाज़ में जुदाई का वो दर्द भी कम हो जाए, जब कोई आवाज़ ये कहे के

तू जहां जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा

दीदी का इतना बड़ा और इतना लम्बा फ़िल्मी सफर और इस दौरान कई बार उनका नाम किसी न किसी विवाद में फसा

कभी गिनेस बुक के गीतों की संख्या के लिए उनकी और रफ़ी जी की नोक जोंक हुई तो कभी बर्मन साब के साथ उनका व्यवहार कुछ उखड़ा सा रहा

जब लता दीदीने प्रोडूयूसर से रॉयल्टी में से हिस्सा मांगना चाहा, रफ़ी साब ने इस बात का समर्थन देने से इंकार किया, और फिर से लता जी और रफ़ी जी में अनबन बढ़ती चली

कभी पेडर रॉड के फलाय ओवर के लिए विवाद तो कभी राज्यसभामें कम एटेंडेंस के लिए, विवादों ने लता जी को हमेशा मशरूफ रखा

लगभग सात दसक तक पूरी संगीत इंडस्ट्री में अपनी आवाज़ का जादू चलते हुए, लताजी ने लगभग हर नायिका को अपना कंठ दिया

पाकीज़ा को अमर करने में मीनाकुमारी जितना ही योगदान लता जी के गीत
चलते चलते का था

ऐसी कोई अंताक्षरी नहीं होगी जिसमे इ पे से लताजी का
इन्ही लोगो ने ले लिया, दुप्पटा मेरा न गाया जाये

“प्रेम पुजारी” के गीत
रंगीला रे, तेरे रंग में यूँ रंगा है मेरा मन की शरारत हो या

“अभिमान” में जया भादुड़ी किसी पत्नी के मनकी बात करे
पिया बिना, पिया बिना बांसिया
बाजे ना, बाजे ना, बाजे ना

इतने नेशनल एवॉर्ड और इतने फिल्मफेर अवॉर्ड के, मानो और कोई कॉम्पिटिशन ही नहीं, कोई तुलना ही नहीं, कोई और गायिका ही नहीं

१९७३ में
बीती ना बिताई रैना के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला तो

१९७५ में कोरा कागज़ मे
रूठे रूठे पिया, मनाऊं कैसे के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता

जब लता जी कंठ को भूपेन हज़ारिका जैसा कोई संगीतकार ने संवारा तो हमे मिला
दिल घूम घूम करे

एक और वजह मिल गयी हमे, ८८ साल की महिला को दीदी कहने की
जब ५२ साल की उम्र में जब उन्होंने १९८१ में “एक दूजे के लिए” गाया
सोला बरस की बाली उम्र को सलाम

रीना रॉय के लिए
शीशा हो या दिल हो हो या

श्रीदेवी के लिए
मेरे हाथों में नौ नौ चुडिया है

डिम्पल के लिए
सागर किनारे, दिल ये पुकारे हो या

स्मिता पाटिल के लिए
मेरे प्यार की उम्र हो इतनी सनम

परवीन बॉबी के लिए
लिखने वाले ने लिख डाले हो या

हेमा मालिनी के लिए
जिंदगी की न छूटे लड़ी हो या

मनीषा कोइराला के लिए
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

या

रति अग्निहोत्री के लिए
मुझे तुम याद करना
और मुझको याद आना तुम

रेखा की रील लाइफ या रियल लाइफ का दर्द समझना हो तो गेलेरी में बैठकर आसमान को देख के लताजी की चीख जैसा
नीला आसमां सो गया का आखरी स्टेन्ज़ा दिल पर पत्थर रखकर सुन के देखिये

एक प्रेमिका, एक प्रेयसी के लिए लताजी के गाने सुन लिये हो, तो अब एक पत्नी के लिए, कोकिल कंठी क्या कया गया शकती है, उसका लिस्ट भी देख लीजिए

अभिमान में एक पत्नी का प्यार, मजबूरी या हिम्मत देखनी हो तो, बारी बारी, ये गाने चुन और सुन लीजिए

अब तो है तुमसे, हर खुशी अपनी

लुटे कोई मन का नगर, बनके मेरा साथी

तेरी बिंदिया रे

और अंत मे, फ़िल्म के क्लाइमेक्स में, उनकी सहमी हुई, सिसकिया लेती हुई आवाज़ में
तेरे मेरे मिलन की ये रैना

गुजराती फिल्मो ने लताजी ने कम गाने दिए, पर कब दिए, तो पत्थर दिल इंसान को भी रुला दे ऐसा
बेना रे, साँसरिये जाता जो जे पापण मिला

किसी शादी की बिदाई में यह गाना बजे, तो एक सेकंड के लिए दूल्हा भी आंख में कचरा गिर गया, ये बोलकर आँख साफ कर लेता है

लताजी के हज़ारो गाने, हर गाने में इतने किस्से, इतने अफ़साने, के किसी वोट्स एप मेसेज या फेसबुक वॉल छोटी पड़ जाए

इस लेख को मज़ेदार और संक्षिप्त रखने के लिए, “हस्ते ज़ख्म” में “प्रिया राजवंश’ के लिए गाय हुआ ये गाना गुनगुना के, इस लेख को विराम दे

ट्रेन में, ऑफिस में, घर के बरामदे में, गेलेरी के जुले पे, कही भी आँख बंद करके, ये गाना पूरा सुन लो और अगर आप अपने जीवनकी सब से प्रिय व्यकित को याद न करें, तो ये आर्टिकल का लास्ट पेरा है, और आप इस पेरा को डिलीट कर शकते है

बेताब दिल की तमन्ना यही है
तुम्हे चाहेंगे, तुम्हे पूजेंगे
तुम्हे अपना खुदा हम बनायेगे

सुने सुने ख्वाबो मे,
जब तक तुम ना आये थे
खुशिया थी तब औरो कि,
गम भी सारे पराये थे
अपने से भी छिपायी थी,
धडकन अपने सीनेे की
हमको जीना पडता था,
ख्वाइश कब थी जीने की

अब जो के आके तुमने हमे
जीना सिखा दिया है
चलो दुनिया नयी बसायेंगे
बेताब दिल . .

भीगी भीगी पलकों पर,
सपने कितने सजाये है
दिल मी जितना अंधेरा था,
उतनेे उजाले आये है
तुम भी हमको जगाना ना,
बाहो मे जो सो जाए
जैसे खुशबू फूलों मे,
तुम मे यूंहि खो जाए

पल भर किसी जनम मे
कभी छुटे ना साथ अपना
तुम्हे ऐसे गले लगाएँगे
बेताब दिल की .

वादे भी है, कसमे भी है,
बीता वक्त इशारो का
कैसे कैसे अरमां है,
मेला जैसे बहारोका
सारा गुलशन दे डाला,
कलिया और खिलाओ ना
हसते हसते रो दे हम,
इतना भी तो हसाओ ना
दिल मे तुम हि बसे हो,
सारा आंचल वोह भर चूका है
कहा इतनी ख़ुशी छुपायेंगे

बेताब दिल की तमन्ना यही है

(इतनी सुरीली, इतनी दर्दीली, इतनी मासूम आवाज़ की मलिका, लताजी )

(With due credit to Google and Wikipedia)

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