26 जनवरी को मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस भारत के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है। यह वह दिन है जब 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था। अभिनेत्री नमिता लाल, जो बिफोर लाइफ आफ्टर डेथ, लिहाफ़, कंट्री ऑफ द ब्लाइंड, ऑक्सीजन, फुटबॉल – द गोलजैसी परियोजनाओं और आगामी फिल्म इन गलियों में के लिए जानी जाती हैं, इस दिन को अपने दिल के बहुत करीब मानती हैं। यह दिन उनके लिए यादों और गहरे भावनात्मक जुड़ाव से भरा है।
नमिता की गणतंत्र दिवस की शुरुआती यादें देहरादून में उनके स्कूल के दिनों से जुड़ी हैं। अपने अनुभव को याद करते हुए वह कहती हैं, “26 जनवरी की मेरी सबसे पुरानी यादें स्कूल से जुड़ी हुई हैं, जहां मुझे एक गाना गाने के लिए कहा गया था। यह छठी कक्षा की बात है, जब मैं देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी। मुझे मंच पर जाना था, और मुझे आज भी याद है कि वहां कई गणमान्य लोग मौजूद थे, जो अलग-अलग जगहों से अपने बच्चों से मिलने आए थे—इनमें कुछ नौकरशाह और व्यापारी भी थे।”
इसी मौके पर नमिता ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गाया, जिसने न केवल उनके बल्कि दर्शकों के दिलों पर भी गहरी छाप छोड़ी। वह बताती हैं, “जब मैंने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना शुरू किया, तो मुझे लगता है कि मैं इसे पूरा नहीं गा पाई, क्योंकि मैंने देखा कि दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए थे। कुछ लोग तो खुलेआम रोने लगे। उस पल के बाद से, यह गाना मेरे दिल के बहुत करीब हो गया। आज भी, जब मैं गणतंत्र दिवस समारोह में जाती हूं, तो यही गाना गाती हूं। हर बार यह गाना गाते हुए मुझे गहरी भावनाएं महसूस होती हैं और यह मेरे लिए गणतंत्र दिवस की एक महत्वपूर्ण याद बन चुका है।”
नमिता गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस दोनों के महत्व को रेखांकित करते हुए इनके अलग-अलग मायने समझाती हैं। वह कहती हैं, “गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस दोनों ही बेहद अहम हैं। खासकर, गणतंत्र दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा संविधान वह आधार है, जिस पर हम बार-बार भरोसा करते हैं। यह किसी भी विवाद, बहस, या राजनीतिक असहमति में अंतिम संदर्भ बिंदु का काम करता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं ने देश के लिए क्या सपना देखा था। और संविधान हमें उन सवालों के जवाब देता है।” वह मानती हैं कि युवाओं के लिए संविधान को समझना और उसका सम्मान करना बेहद जरूरी है।
नमिता के लिए गणतंत्र दिवस परेड इस दिन के उत्सव का मुख्य आकर्षण है। वह इसे भारत की समृद्ध संस्कृति और एकता का शानदार प्रदर्शन मानती हैं। वह कहती हैं, “और क्या जबरदस्त परेड होती है! मुझे हमेशा अपने टीवी के सामने बैठकर इसे देखना बहुत अच्छा लगता है। हालांकि मैंने दिल्ली जाकर परेड को लाइव कभी नहीं देखा, लेकिन इसे टीवी पर देखना हर बार बहुत भावनात्मक और सुखद अनुभव होता है।”
वह इस परेड को एक ऐसा आयोजन मानती हैं, जो देश की विविधता को एक जगह एकत्रित करता है। “विभिन्न राज्यों, उनकी संस्कृतियों, जीवंत रंगों, सशस्त्र बलों और विभिन्न संगठनों—चैरिटीज, फाउंडेशन्स, और एनजीओ—को एक साथ देखना सचमुच अद्भुत होता है। यह किसी राष्ट्र की संस्कृति, इतिहास और भविष्य का बेहतरीन प्रदर्शन है। दिल्ली का माहौल इसे और खास बना देता है। मैंने कई अन्य देशों में भी इसी तरह के आयोजनों को देखा है, लेकिन मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि यह आयोजन सबसे बेहतरीन है। यह वाकई में सबसे अलग है,” वह अपनी बात खत्म करती हैं।