मैं पाखी हेगड़े पहली बार सरकार से विनम्र होकर विनती करती हूं कि मेरे इस प्रयास को सफल करने में हमारी मदद करें।
विंग चुन एक ऐसी कला है, जो अपनी भारतीय शिक्षा पद्धति में लाना चाहती हूं। यह हमारी मांग है कि इसे हर स्कूल में अति आवश्यक रूप से पढ़ाई जाए।
विंग चुन यह तकनीक एक औरत द्वारा डिजाइन की हुई है, जो कि हम औरतों की ताकत और कमजोरी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की गई है।
इसमें हम चाहते हैं कि जब बालिका छोटी आयु में होती है, तब इनकी विकसित होने की ताकत सबसे ज्यादा होती है।
अगर इस समय शिक्षा की विषय वस्तु के साथ इस तकनीक का परिचय कराया जाए तो बच्चे बचपन में ही इससे अवगत हो पाएंगे और फिर इनके आत्मसुरक्षा सीखना इतना दुःखदाई नहीं होगा। जैसे बच्चे बड़े होने के बाद सीखने में आनाकानी कर सकते हैं। अगर हमें अपनी बच्चियों से सच में प्यार करते हैं और अगर हम सच में सोचते हैं कि हमारे देश की भविष्य की बच्चियां आत्मनिर्भर हो तो, हमें उन्हें यह बचपन में ही सिखा देना चाहिए। जिससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से इतनी मजबूत महसूस करेंगी कि उनको किसी पिपर स्प्रे या किसी की मदद के लिए पुकारने या फोन करके बुलाने की जरूरत ही महसूस ना हो।
आज मैं यह प्रण लेती हूं कि मैं मेरी ताकत के अनुसार पूरी प्रार्थना करूंगी कि हमारी सरकार इसे अपनी शिक्षा पद्धति में लाने में हमारा पूरा सहयोग कर इस देश की हर बच्ची को आत्मनिर्भर बनाने में हमारी सहायता करें।
जय हिंद जय भारत
आत्मनिर्भर भारत
विशेष रूप से धन्यवाद नीलेश सोनारकर सर और नीलेश प्रभुलकर सर जिन्होंने छात्रों और लड़कियों को इस सामाजिक कार्य करने में अपना अमूल्य समय प्रदान किया।
अन मैरी सिस्टर अनुपमा मीस कॉलेज की प्रधानाध्यापिका जिन्होंने अपनी स्कूल में हमें हमें अभ्यास करने की अनुमति दी। भावना द्विवेदी जी जो हमें हर चीज में स्वेच्छा से मदद की उनका भी धन्यवाद।
निरवाना सर्वोदय गोरखपुर हमारे साथ मिलकर बहुत ही सुंदर जगह प्रदान की उनका भी धन्यवाद।
नाइन सैनिटरी नैपकिंस का विशेष रुप से धन्यवाद जिन्होंने सभी प्रतियोगियों को हाइजीन रखने के लिए और इस कार्यक्रम को सफल करने के लिए सैनिटरी नैपकिंस प्रदान की।