रोहित चौधरी अपनी फिल्म ‘वनवास’ की रिलीज़ को लेकर बेहद उत्साहित हैं, जिसमें वह सह-निर्माता की भूमिका निभा रहे हैं। यह फिल्म, जो 20 दिसंबर को सिनेमाघरों में आई, में उन्होंने एक एनडीआरएफ ऑफिसर की भूमिका भी निभाई है। रोहित का कहना है कि अभिनेता और निर्माता दोनों की भूमिकाओं को निभाना उनके लिए बिल्कुल भी चुनौतीपूर्ण नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट पर पूरा भरोसा था और वह इसे दर्शकों के लिए एक दमदार कहानी मानते थे।
रोहित ने कहा,
“मैं एक बिज़नेसमैन हूं, इसलिए मैंने इस फिल्म में निवेश किया क्योंकि स्क्रिप्ट काफी मजबूत थी। अभिनय मेरा जुनून है और इस फिल्म को सह-निर्मित करना मेरा निर्णय था, क्योंकि मुझे पता था कि यह एक बेहतरीन फिल्म बनेगी। अगर स्क्रिप्ट कमजोर होती, तो मैं इसमें निवेश नहीं करता। आजकल एक्शन फिल्में काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन यह जॉनर कम ही देखने को मिलता है। यही इस प्रोजेक्ट को खास बनाता है, और मुझे पूरा विश्वास है कि इसे दर्शकों से सराहना मिलेगी।”
‘वनवास’ की कहानी एक बुजुर्ग व्यक्ति (नाना पाटेकर द्वारा निभाई गई भूमिका) पर आधारित है, जिसे उसके परिवार द्वारा बनारस में अकेला छोड़ दिया जाता है। फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों से काफी सराहना मिल रही है, और रोहित इससे बेहद खुश हैं।
उन्होंने कहा,
“लोगों ने फिल्म की बहुत तारीफ की। जिसने भी इसे देखा, उसकी आंखें नम हो गईं। मुझे यकीन है कि दर्शक इस फिल्म से जुड़ेंगे और महसूस करेंगे कि बुजुर्ग माता-पिता कोई बोझ नहीं, बल्कि एक आशीर्वाद हैं। हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए।”
फिल्म के एक संवाद का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा,
“फिल्म में एक डायलॉग है, ‘मां-बाप का करम है बच्चों को पालना, और बच्चों का धरम है मां-बाप को संभालना।’ मुझे लगता है कि आजकल बच्चे अपने इस धरम को भूलते जा रहे हैं। यह शायद करियर के दबाव या अन्य कारणों की वजह से हो सकता है। हमारी फिल्म उन्हें यह याद दिलाने के लिए है।”
रोहित के लिए फिल्म से सबसे अहम सीख “परिवार के मूल्य और आपसी बंधन” थी। उन्होंने साझा किया,
“इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने अपने पिता को सबसे ज्यादा याद किया।”