गुजरे ज़माने के चर्चित स्टार विनोद खन्ना (Vinod Khanna) आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़े किस्से कहानियां आज भी सुने और सुनाए जाते हैं. विनोद खन्ना अपनी फिल्मों के साथ ही पर्सनल लाइफ के चलते भी चर्चाओं में रह चुके हैं. आज हम आपको विनोद खन्ना की लाइफ से जुड़े एक ऐसे ही घटनाक्रम के बारे में बताएंगे जिसकी खूब चर्चा हुई थी.
असल में विनोद खन्ना अपने करियर के पीक में ओशो से प्रभावित होकर संन्यासी बन गए थे. बताते हैं कि विनोद खन्ना अक्सर ओशो के पुणे स्थित आश्रम में जाया करते थे, यहां तक कि वे अपनी फिल्मों की शूटिंग भी पुणे में ही रखवाने लगे थे ताकि वे अपना ज्यादा से ज्यादा समय ओशो के साथ बिता पाएं.
यही नहीं, साल 1975 में विनोद खन्ना अपना सबकुछ छोड़ कर ओशो के साथ अमेरिका चले गए थे. ख़बरों की मानें तो विनोद खन्ना ने अपना लगभग सारा लग्ज़री सामान गरीबों को दान कर दिया था. यही नहीं, विनोद खन्ना अपने परिवार को भी पीछे छोड़कर ओशो के साथ अमेरिका चले गए थे, यहां 31 दिसंबर 1975 को उन्हें औपचारिक दीक्षा दिलवाई गई थी.
विनोद खन्ना को ओशो (Osho) के निजी गार्डन में माली का काम मिला था. यही नहीं, विनोद खन्ना इस दौरान आश्रम के जूठे बर्तन यहां तक कि टॉयलेट तक साफ़ किया करते थे. बहरहाल, विनोद खन्ना लगभग 4 सालों तक ओशो आश्रम में ही रहे थे लेकिन अमेरिका द्वारा ओशो आश्रम बंद करने के बाद वे भारत वापस लौट आए थे.
एक्टर जब भारत वापस आए तब तक उनका परिवार बिखर चुका था, एक्टर की पहली वाइफ गीतांजलि ने उन्हें तलाक दे दिया था. विनोद खन्ना ने साल 1987 में फिल्म ‘इंसाफ’ से बॉलीवुड में कमबैक किया था. वहीं, कैंसर से लड़ते हुए विनोद खन्ना का साल 2017 में निधन हो गया था.